"मैं जो हूँ, मैं वो नहीं रहा"

मैं जो हूँ, मैं वो नहीं रहा

मैं कुछ और ही बनता चला गया

मेरे हालत मेरे नहीं रहें मैं किसी और हालत में चलता गया

मैं जो हूँ मैं वो नहीं रहा।

 ये जिंदगी रोज कुछ ना कुछ याद दिलाती है

लेकिन मैं इन यादों को मुक़्क़मल नहीं कर सका

इस अधूरेपन से मैं टूटता चला गया

मैं जो हूँ मैं वो नहीं रहा।। लेखक~अजय कुमार 

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